अयोध्या का धार्मिक महात्म्य — RELIGIOUS SIGNIFICANCE OF AYODHYA
हमारे देश के ऋषि महर्षियों ने जीव मात्र को मोक्ष प्रदान करने के लिए सप्त पुरिओं का वर्णन किया है जिसमे श्री अयोध्या जी का सर्व प्रथम स्थान बताया गया जैसा निम्नलिखित है ।
अयोध्या , मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिकापुरी, द्वारावती सप्तियता मोक्ष दायकः
इसमें प्रथम स्थान श्री अयोध्या जी का ही बताया गया है. अवध धाम में हमारे भगवान श्री राम चन्द्र अपने अंशो के सहित चक्रवर्ती राजा दशरथ के यहाँ अवतार लिए । इस पूरी के महात्मय के विषय में बड़े बड़े महा मुनीन्द्र अम्लात्मा जान करके भी वैराग्य को भुला देते हैं ।
जैसा की कबिकुल भूषण संत शिरोमणि पूज्यपाद गोश्वामी श्री तुलसीदास जी अपने श्रीराम चरित मानस में वर्णन करते हैं और कहते हैं की महर्षि नारद और सनकादिक मुनि दर्शन के लिए श्री अयोध्या धाम में नित्य पधारते हैं । भगवान् श्री राम के दर्शन के लिए नित्य अयोध्या आते हैं. और नगर को देखकर ऐसा निमग्न होते हैं की बैराग्य ही भूल जाता है ।
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इसीलिए सम्पूर्ण श्री राम चरित मानस में केवल एक ही बार अयोध्या शब्द का प्रयोग करते हैं जैसा की
नारदादि सनकादि मुनीशा, दरसन लागि कोशलाधीषा ।
दिन प्रति सकल अयोध्या आवाहि, देखि नगर विराग बिषरावहि । ।
इस पावन पूरी को दूर से ही देख लेने पर अघ जो की शास्त्रों में अछम्य है वह समाप्त हो जाता है । जैसा की
देखत पूरी अखिल अघ भागा, बन उपबन बापिका तड़ागा
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